Saturday 19 May 2018

क़यामत का दिन

.क़यामत का दिन होगा... 

सब का हिसाब किताब हो रहा होगा... 
तभी फरिश्ते अल्लाह से कहेंगे ए अल्लाह तेरे बंदे ने तेरे लिए नमाज़ पढ़ी है...
अल्लाह फरमाएगा उसे उसका इनाम दे दो।
फिर फरिश्ते कहेंगे अल्लाह तेरे बंदे ने तेरे लिए हज भी किया है....
अल्लाह फिर फरमाएगा उसे उसका भी इनाम दे दो ..
फिर फरिश्ते कहेंगे अल्लाह तेरे बंदे ने तेरे लिए सदका और ज़कात भी तो की है...
अल्लाह फिर फरमाएगा उसको इसका भी इनाम दे दो फरिश्ते फिर कहेंगे अल्लाह तेरे बंदे ने तेरे लिए रोज़ा भी रखा है...

अल्लाह कहेगा बस फरिश्ते अब तुम रुक जाओ इसका इनाम मैं खुद दूँगा.
फरिश्ते कहेंगे। तेरे बंदे ने नमाज़ पढ़ी तो तूने उसका इनाम उसे दिलवाया.ज़कात का इनाम भी उसे दिलवाया..
हज्ज किया तो उसका इनाम भी उसे दिलवाया..लेकिन रोज़ा का इनाम इसे क्यू नही दिलवाया..

अल्लाह फरमाएगा नमाज़ दूसरो को दिखाने के लिए पढ़ सकता है..
मालदार था तो हज्ज भी दूसरो को दिखाने के लिए कर सकता ह..

ज़कात भी दूसरो को दिखाने के लिए कर सकता है..
लेकिन रोज़ो मैं मैने उसे पूरी आज़ादी दी थी...
उसने रोज़ा सिर्फ़ मेरे ख़ौफ़ और मुझे राज़ी करने के लिए रखा है।

इसलिए 
अल्लाह अपने रोज़दार बन्दो को खुद अपने हाथो से इसका इनाम देगा...

और सबसे बड़ी रोज़दार के लिए नियामत ये होगी की वो उस वक़्त अल्लाह का दीदार कर सकेगा....
सुब्हानअल्लाह..
इसलिए सभी से गुज़ारिश है के इस बड़ी नियामत को हाथ से जाने ना दे..
.सुब्हानअल्लाह !!

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