Monday 21 May 2018

Meri Dua


 ऐ मेरे परवरदिगार पुरी दुनीया मे जीतने लोग वफात पा  चूके हे उनकी मगफीरत फरमा . . आमिन
उनहे कबर के अजाब से माफ फरमा . . . आमिन
जो बीमार हे या परेशान हे तू अपने करम से माफ फरमा. . . आमिन

ओर उनकी बीमारी ओर परेशानी को दूर फरमा. . . आमिन
 ओर ऐ मेरे परवरदिगार जीसने मुझे ये दुआ भेजी हे उसके तमाम गुनाहो को माफ फरमा. . . . . आमिन
 ओर हर काम मे कामयाबी अता फरमा . . . आमिन
 ओर उसके नसीब खोल दे. .  आमीन 
अपने लीए जरूर दुआ करवाए नजाने कीसकी जुबान से आपकी तकदिर सवर जाए 
आपकी खास दुआऔ में गुनाहगार को याद रखना !

यह  दुआ  बोहोत  प्यारी  है , इसको  सुकून  से  पढ़ो 
और  दिल  में  आमीन  कहो  हो   सकता  है  के दुसरे  लोगो  की 
आमीन  से  अपनी  दुआ  कबूल  हो  जाये  ( आमीन )

ऐ  अल्लाह  रब्बुल  इज़्ज़त ,
 ऐ  सारी कायनात  के  शहंशाह ,
 ऐ  सारी  मख्लूक़  के  पालने  वाले ,
 ऐ  ज़िन्दगी  और  मौत  का  फैसला  करने  वाले ,
 ऐ  आसमानो  और  ज़मीनो  के  मालिक ,
 ऐ  पहाड़ों  और  समन्दरों  के  मालिक ,
 ऐ  इन्शानो   और  जिन्नातों  के  माबूद ,
 ऐ  अर्श -ए -आज़म  के  मालिक ,
 ऐ  फरिश्तों  के  माबूद ,
 ऐ  इज़्ज़त  और  ज़िल्लत  के  मालिक ,
 ऐ  बिमारियों  से   शिफ़ा  देने  वाले ,
 ऐ  बादशाहों के  बादशाह .
 ऐ  अल्लाह  हम  तेरे गुनाहगार बन्दे  हैं ,
 तेरे ख़ताकार  बन्दे  हैं ,
 हमारे  गुनाहों  को  माफ़ फरमा  ,
 हमारी ख़ताओं को  माफ़ फरमा ,
 ऐ  अल्लाह हम अपने अगले पिछले,सगीरा,कबीरा, छोटे, बड़े सभी गुनाहों और खताओं की और ना -फरमानियों की माफ़ी मांगते हैं ...

 ऐ  अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हम अपने गुनाहों 
से तौबा करते  हैं .हमारी तौबा क़ुबूल करले ..
 ऐ अल्लाह हम गुनाहगार हैं ,
 सियाकार हैं , 
 बदकार हैं ,
 तेरे  हुक्मो  के ना -फरमान हैं ,
 ना -शुकरे  हैं लेकिन मेरे माबूद तेरे नाम लेवा बंदे 
हैं तेरी तौहिद की गवाही देते हैं . 

 तेरे सिवा कोई  इबादत के लायक़ नहीं है .
 तेरे सिवा कोई बंदगी के लायक नहीं है .
 तेरे सिवा कोई ताऱीफ के लायक नहीं है .
 हमारे माबूद हमारे गुनाह तेरी रेहमत से बड़े नहीं हैं .
 तू अपनी रहमत से हमें माफ़ करदे 
 ऐ अल्लाह पाक हमें गुमराही के रास्ते से हटा  कर सिरातल मुस्तक़ीम के रास्ते पे चलने वाला बना दे 
 ऐ अल्लाह ऐसी नमाज़ पढ़ने की तौफ़ीक़ अत कर जिस नमाज़ से तू राज़ी हो जाये ,
 ज़िंदगी में ऐसे नेक अमल करने कि तौफ़ीक़ अता कर जिन अमालोंसे तू राज़ी हो जाये .
 हमें ऐसी ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता कर जिस ज़िंदगी से तू राज़ी हो जाये .
 ईमान पे ज़िंदा रख और ईमान पे ही मौत अता कर .
 ऐ अल्लाह हमें तेरे हुक्मों की फ़र्माबरदारी करने वाला बना ..
 और तेरे प्यारे हबीब जनाबे मोहम्मद रसूलुल्लाह (सलल्लाहो 
ता 'आला अलैहि वस्सल्लम ) के नेक और पाकीज़ा तरीकों को अपनी ज़िन्दगी में लाने वाला बना .

 ऐ अल्लाह हमारी परेशानियों को दूर करदे ,
 ऐ  अल्लाह जो बीमार हैं उन्हें शिफ़ा -कामिला अता फरमा .
 ऐ अल्लाह जो क़र्ज़ के बोझ से दबे हुए हैं उनका क़र्ज़ जल्द से जल्द अदा करवा दे ,
 ऐ अल्लाह शैतान से हमारी हिफाज़त फरमा 
 ऐ अल्लाह  इस्लाम के दुश्मनों का मुँह काला कर ,
 ऐ अल्लाह हलाल रिज़्क़ कमाने कि तौफ़ीक़ अता फरमा ,
 ऐ  परवर्दिगार- ए -आलम हमें माँगना नहीं आता लेकिन तुझे देना आता है तू हर चीज़ पे क़ादिर है ..
 ऐ अल्लाह जो मांगा वो भी अता फरमा जो मांगने से रह गया वो भी इनायत फरमा ...
 हमारी दुआ अपने रहम से अपने करम से क़ुबूल फरमा। 

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